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बैतबाज़ी


कौन कहता है मुश्किल है इंसान को मारना,
लहज़ा बदल, अंदाज़ बदल, नजरें बदल और मार दे।
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इल्ज़ाम लगाते हो लहज़े, अंदाज़ औ नज़रों पे,
तुमने कभी उसको मुस्काते नहीं देखा होगा।
#क़ैस

उसकी नज़रों ने ले लिया क़त्ल का पूरा इल्ज़ाम,
जमाना बेख़बर है उसकी क़ातिल तबस्सुम से।
#क़ैस

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शेर-ओ-शायरी


तेरे इश्क़ ने आशिक़ से शायर तो बना दिया,
मग़र दस्तख़त अब भी “क़ैस” ही लिखता हूँ।।
#क़ैस

शेर-ओ-शायरी


मेरे ख़ुदा मुझ पर इतना रहम करना,
बिखर जाऊँ मैं बोझ बनने से पहले।।
#क़ैस

शेर-ओ-शायरी


उसकी मासूमियत देखो,
कहती है मुझे खूबसूरत ना कहा करो,
मुझे ग़ुरूर1 आ जाएगा।
वो मल्लिका-ए-हुस्न क्या जाने,
कितने आशिक़ फ़ना2 हो गए,
इस चेहरे की बस एक झलक देखकर।।
#क़ैस


मायने ⇒

शब्द अर्थ
ग़ुरूर घमंड
फ़ना मर मिटना

शेर-ओ-शायरी


हाथों की लकीरों से इश्क़ का अंदाजा लगते हो,
मोहब्बत करते हो या कोई तमाशा दिखाते हो।।
#क़ैस