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शेर-ओ-शायरी


तेरे इश्क़ ने आशिक़ से शायर तो बना दिया,
मग़र दस्तख़त अब भी “क़ैस” ही लिखता हूँ।।
#क़ैस

शेर-ओ-शायरी


उसकी मासूमियत देखो,
कहती है मुझे खूबसूरत ना कहा करो,
मुझे ग़ुरूर1 आ जाएगा।
वो मल्लिका-ए-हुस्न क्या जाने,
कितने आशिक़ फ़ना2 हो गए,
इस चेहरे की बस एक झलक देखकर।।
#क़ैस


मायने ⇒

शब्द अर्थ
ग़ुरूर घमंड
फ़ना मर मिटना

शेर-ओ-शायरी


नाम तो बुलाने का जरिया है ज़माने की खातिर,
आशिक़ जुबां से नहीं रूह से आवाज़ देते हैं।।
#क़ैस

शेर-ओ-शायरी


सच्चे आशिक़ दीदार1 की परवाह नहीं करते,
हर अश्क़2 में नज़र आता है महबूब का अक्स3।।
#क़ैस


मायने ⇒

शब्द अर्थ
दीदार आमने सामने देखना
अश्क़ आँसू
अक्स प्रतिबिम्ब, छाया

शेर-ओ-शायरी


सच्चे आशिक़ किसी ख़ास दिन का इंतज़ार नहीं करते,
मोहब्बत तो जावेदाँ1 है यूँ वक़्त बर्बाद नहीं करते।
ख़फ़ा हो भी जाएँ तो चूम लेते हैं इक दूजे को,
फ़जूल2 बहसबाज़ी में सवाल जवाब नहीं करते।।
#क़ैस


मायने ⇒

शब्द अर्थ
जावेदाँ चिरस्थायी, Everlasting
फ़जूल बर्बाद, Waste