Tag Archives: क़त्ल

बैतबाज़ी


कौन कहता है मुश्किल है इंसान को मारना,
लहज़ा बदल, अंदाज़ बदल, नजरें बदल और मार दे।
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इल्ज़ाम लगाते हो लहज़े, अंदाज़ औ नज़रों पे,
तुमने कभी उसको मुस्काते नहीं देखा होगा।
#क़ैस

उसकी नज़रों ने ले लिया क़त्ल का पूरा इल्ज़ाम,
जमाना बेख़बर है उसकी क़ातिल तबस्सुम से।
#क़ैस

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पेड़ की व्यथा


ये जो बेदर्दी से मुझे क़त्ल कर रहे हो,
छीन रहे हो चिड़ियों से उनका घर,
बच्चों से बचपन,
जोड़ों से सुकूं के दो पल।।
#क़ैस

शेर-ओ-शायरी


कई अरमान क़त्ल किये तब जाकर ये हुनर आया है,
मोहब्बत होती सी दिखे, पैर पीछे खींच लेता हूँ मैं।।
#क़ैस

बैतबाज़ी


ख़ुदकुशी से बस इसलिए है गुरेज़
लुत्फ़ मरने में भी न आया तो ?
#राजेश रेड्डी

ख़ुदखुशी की खातिर ख़ुदकुशी कौन कमबख़्त कर रहा,
वो बोली तुम मर जाओ तो दावत दूँ, हम बोले जो हुकुम।।
#क़ैस

इस मुल्क की हिफाज़त को मैं फ़लक नापता हूँ,
मेरे क़त्ल को तुम ख़ुदकुशी का नाम तो ना दो।।
#क़ैस

शेर-ओ-शायरी


अपनी अदाओं से क़त्ल करने वाले,
मेरे लफ़्ज़ों को आज क़ातिल कह रहे।।
#क़ैस