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प्रेम का पूर्ण स्वरुप


प्रेम पूर्णत्व1 के नज़दीक पहुँचते पहुँचते श्रद्धा बन जाता है जिसमें प्रेमी वरदान की चाह में प्रेमिका की उपासना2 करता है। और वरदान प्राप्ति पर उस देवी का तिरस्कार3 नही किया जाता, बल्कि उपासक4 उपास्य5 में लीन हो जाता है।
यही प्रेम का पूर्ण स्वरुप है।
प्रेम अमर रहे। प्रेमियों को दीर्घायु6 नसीब हो।
#प्रेमचंद एवं #क़ैस


मायने ⇒

शब्द अर्थ
पूर्णत्व पूर्ण या पूरा होने की अवस्था, Completion
उपासना पूजा, Worship
तिरस्कार सम्मान करना बंद कर देना और नापसंद करना, Contempt, Scorn
उपासक जो पूजा या उपासना करता हो
उपास्य जिसकी पूजा या उपासना की  जा रही हो
दीर्घायु लम्बी उम्र

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