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प्रेम का पूर्ण स्वरुप


प्रेम पूर्णत्व1 के नज़दीक पहुँचते पहुँचते श्रद्धा बन जाता है जिसमें प्रेमी वरदान की चाह में प्रेमिका की उपासना2 करता है। और वरदान प्राप्ति पर उस देवी का तिरस्कार3 नही किया जाता, बल्कि उपासक4 उपास्य5 में लीन हो जाता है।
यही प्रेम का पूर्ण स्वरुप है।
प्रेम अमर रहे। प्रेमियों को दीर्घायु6 नसीब हो।
#प्रेमचंद एवं #क़ैस


मायने ⇒

शब्द अर्थ
पूर्णत्व पूर्ण या पूरा होने की अवस्था, Completion
उपासना पूजा, Worship
तिरस्कार सम्मान करना बंद कर देना और नापसंद करना, Contempt, Scorn
उपासक जो पूजा या उपासना करता हो
उपास्य जिसकी पूजा या उपासना की  जा रही हो
दीर्घायु लम्बी उम्र

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ख़याल


कुछ दोस्त रह रह कर याद आते हैं,
और रह रह कर याद आते हैं उनके साथ बिताये पल।
रह रह कर याद आने का मतलब समझते हैं आप?
याद है आखिरी बार सिसकी1 कब ली थी?
#कैस


मायने ⇒

शब्द अर्थ
सिसकी लम्बी लम्बी साँसें ले कर रोना

शेर-ओ-शायरी


रात में तुम्हारे ख़याल कुछ यूँ महकते हैं, कि,
राहगीर भी पूछने लगे हैं मोगरा है या रातरानी।
जरा जवाब दो मैं उनको क्या जवाब दूँ,
या बस कह दूँ इक खुशबू है, थोड़ी सुहानी कुछ रूहानी।।
#क़ैस

ख़याल


होठों की दबी दबी तबस्सुम, आँखो पे फैला कजरा,
वो बल खाती जुल्फें, मोगरे का गजरा,
रेशम सी वो, हिज़ाब का पहरा,
बनूँ मैं दूल्हा, सर पे हो सेहरा,
ख़्वाब इक टूटा, हुआ सवेरा।।
#क़ैस

ख़याल


कभी पत्थर बनने को जी चाहता है,
थोड़ा बिखरने को जी चाहता है,
अब टूटने को जी चाहता है,
मेरा रोने को जी चाहता है,
एक कहानी बदलने को जी चाहता है।।
#क़ैस