ख़याल


कभी पत्थर बनने को जी चाहता है,
थोड़ा बिखरने को जी चाहता है,
अब टूटने को जी चाहता है,
मेरा रोने को जी चाहता है,
एक कहानी बदलने को जी चाहता है।।
#क़ैस

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