Rape Capital : दिल वालों की दिल्ली


चलिए पहले कुछ झलकियाँ देखते हैं. . .

In 2011, 572 women were raped in Delhi against 239 in Mumbai. So, despite having nearly 2 million more people than Delhi, Mumbai reported less than half the number of rape cases. Other metros reported even fewer instances: 47 in Kolkata, 76 in Chennai, and 96 in Bangalore. The four cities thus reported a total of 458 rapes, less than the figure for Delhi alone.

The woman gang-raped in a moving bus on Sunday is battling for life at Safdarjung Hospital. The nature of her injuries has left doctors shocked. Her intestines and blood vessels had ruptured as she was brutalized badly. There are multiple injuries, but the intestinal injury is the main cause of worry.
She was bleeding profusely, but she was conscious till we wheeled her into the operation theatre, said a senior doctor.
Preliminary examinations show that she has sustained serious abdominal and genital injuries. It seems she was repeatedly hit with a blunt object on her abdomen or an object was shoved into her private parts. She has several injury marks on her body but the injury to the intestines has created a life-threatening condition, said B D Athani, medical superintendent, Safdarjung Hospital.
In a four-hour surgery, doctors had to remove large portions of her intestines as it was badly damaged. She was later put on ventilator. By the evening, doctors say, she had gained consciousness but was drowsy. Her mother and brother also met her in the evening. She is not talking right now. She is in a state of shock, said a doctor.
Doctors are maintaining her blood pressure through medicines. So far, she has taken the treatment well, but her condition is critical. There are high chances of gangrene setting in due to the nature of injuries, said a senior doctor who was part of the team that operated upon her.
Psychiatrists say these men have psychopathic traits. This barbaric act is a result of aggression and frustration. As they were in a group, this aggression and frustration just pushed them to this heinous crime. It is not just a sexual assault, the brutality with which she has been beaten up shows that they had deep psychopathic traits. Drugs, alcohol just make things worse, said Dr Jitender Nagpal, head of institute of mental health,Moolchand Hospital.

-Sources TOI

शायद बताने की ज़रूरत नहीं है कि इस गुनाह की वह्शियत कितनी ज़्यादा थी…असलियत तो ये है कि हम उस दर्द का अंदाज़ा ही नहीं कर सकते वरना क्या हम चुप बैठते…किसी ने सच ही कहा है, जिस पर बीतती है वही जानता है…खैर छोड़िए आपको समझाना शायद बेकार है क्योंकि आपकी संवेदना मर चुकी है, अपना ज़मीर आप रोज बेचते हैं…

मैं आज किसी को समझाने के लिए नहीं लिख रहा हूँ बल्कि अपना गुस्सा निकालने के लिए लिख रहा हूँ…

ये रोज होते बलात्कार इस बात का सबूत हैं कि दिल्ली औरतों के लिए कितनी सुरक्षित है…मैं हमेशा कहता हूँ कि ग़लती अधिकतर औरत की ही होती है पर हमेशा तो नहीं ना…GB Road पर क्या कोई आम आदमी नहीं चल सकता??? और कल जो हुआ उसमें तो लड़की की गलती तनिक भी नहीं थी…क्या कोई रात को साढ़े नौ बजे अपने घर नहीं आ सकता…पर शायद नहीं क्योंकि दिल्ली का तो यही फसाना है कि रात क्या दिन में भी औरत को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्या पता कब क्या हो जाए।

तो क्या औरत घर से बाहर निकलना ही छोड़ दे…क्या उसे अपने पति और परिवार के साथ भी बाहर नहीं निकलना चाहिए…शायद नहीं…क्योंकि दिल्ली में बस जुर्म चलता है, सिर्फ़ और सिर्फ़ जुर्म की बादशाहत है यहाँ…क्या पता दस लोग आपके परिवार के आदमियों को बाँध कर औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार कर दें…

बलात्कार छोड़िए क्रूरता पर ध्यान दीजिए…बलात्कार, वो भी सामूहिक, ऊपर से हद से ज़्यादा क्रूर, ज़िंदगी ख़तरे में, और तन के घाव भर भी गये तो ज़िंदगी भर का मानसिक घाव…

पता नहीं किस भाषा में समझाना पड़ेगा इस समाज को कि हर इंसान की एक माँ होती है और हर माँ औरत होती है…पर छोड़िए ना…मैं जानता हूँ लातों के भूत बातों से नहीं मानते…समझना होता तो समझ नहीं जाते पर उन्हे समझना ही नहीं है, बल्कि वो तो तैयार हैं क़ानून से दो दो हाथ करने को…आख़िर क्यों…जवाब है बिल्कुल सीधा सा, हमारा क़ानून कमजोर है।

शीला दीक्षित ने कहा है कि बस का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है और हर संभव प्रयास किया जाएगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ ना हों…बस बस बस…ये ही आशा थी मैडम आपसे, अब आप जुमला बदल लीजिये क्योंकि यही बात आप काफी बार बोल चुकीं हैं…अफ़सोस होता है कि आप एक महिला हैं…शायद आपको हक़ीकत का अंदाज़ा नहीं है कि यहाँ लाइसेंस रद्द करवाने वालों की लाइन है जो लाइसेंस के बदले बलात्कार करना चाहते हैं…

मैं एक टीवी शो देखता हूँ क्राइम पेट्रोल…उसमें बार बार कहा जाता है कि हमारा क़ानून बहुत मजबूत है बस कमजोर हैं तो हम…

पर आज शायद मेरा भरोसा उठता सा दिख रहा है अपने देश के क़ानून से…ऐसा क़ानून किस काम का जो एक औरत की इज़्ज़त की कीमत सात साल क़ैद समझे, जबकि उसे पता है कि लानत की ज़िंदगी मौत से कहीं बदतर होती है…

बलात्कार का बढ़ता हुआ आँकड़ा इस बात को साफ़ दिखाता है कि लोगों के मन में क़ानून नाम की चीज़ का डर है ही नहीं, और क्यों हो, जब लाइसेंस रद्द करने और सात साल क़ैद से ही काम चल रहा है तो क्या फ़र्क पड़ता है ऐसे वहशी दरिंदों को, वो तो खुशी से किसी की हरी-भरी ज़िंदगी को नरक बनाएँगें…और अभी तो बस शुरुआत है,आगे-आगे देखिए, ऐसे लोगों की लाइन लगेगी जो सात साल क़ैद में बिताना चाहेंगें…अरे है ही क्या, मज़े ही तो हैं, किसी की ज़िंदगी को उजाड़ कर मज़े से सात साल चैन की रोटी खाओ और थोड़ा बहुत काम कर लो। वो भी कभी-कभी तो ज़रूरी नहीं होता, क्योंकि सात साल में तो अन्दर वालों से जान पहचान हो ही जाती है, तो फिर बाहर निकते ही किसी और की ज़िंदगी उजाड़ कर वापिस आ जाओ सात साल के लिए अंदर और अब जेल तो दूसरा घर ही हो जाएगी, खाना है फ्री का , रहना है फ्री का, कपड़े हैं वो भी फ्री के, सब कुछ फ्री का ही तो है, और काम करो तो बैंक बैलेन्स भी बढ़ता है…

आप बताइए कोई क्यों ना जाए ऐसी जेल में…

और जेल तो बहुत दूर की बात है, अगर आपकी जान पहचान है तो पैसे दीजिए केस रफ़ा दफ़ा हो जाएगा, सबूतों के अभाव में आप बरी भी हो सकते हैं, और वापिस आ जाइए मैदान में फिर किसी की ज़िंदगी नरक बनाने…और आपकी किस्मत कुछ खराब है तो सालों चलने वाले केस के बाद तो आप पक्का बरी हो जाएँगे क्योंकि कोई पीडिता बार-बार अदालत आकर ये नहीं बताना चाहेगी कि हाँ उसके साथ बलात्कार हुआ था वो भी सामूहिक…तो मुझे आप ये बताइए कि क्यों ना हों बलात्कार…

बल्कि मैं तो कहूँगा कि हमारी सरकार खुले तौर पर आमंत्रण दे रही है कि जिसकी भी आय थोड़ी कम है, सर ढकने को छत नहीं है, रोटी के लाले है, वो आओ, औरतों की ज़िंदगी खराब करो और सरकारी मेहमान बन जाओ, साथ में रोटी, कपड़ा और मकान बिल्कुल मुफ़्त…तो बताइए भला इससे अच्छा कोई विकल्प होगा किसी के पास, मैं तो कहूँगा कि सरकारी जेलें अब तक की सबसे अच्छी सरकारी योजना है, जिसका बहुत अच्छी तरह से जनता की सेवा में उपयोग किया जा रहा है।

मुझे एक और चीज़ समझ नहीं आ रही कि हमारी सरकार क्यों वेश्यावृति को क़ानूनी करार नहीं दे देती…मैं पहले भी कह चुका हूँ और दुबारा अपनी बात दोहराता हूँ…अरे बलात्कार कुछ हद तक रुकेंगें, टैक्स मिलेगा…वरना जिसे अपना जिस्म बेचना है वो तो बेचेगी ही, चाहे जिस्मफरोशी क़ानूनी हो या गैरकानूनी।

हाल ही में अमेरिका में भी यही माँग की गयी कि सरकार को यदि मंदी से उबरना है तो इस धंधे से टेक्स वसूला जा सकता है और ये तो सभी जानते हैं कि धंधा तो चलना है, चाहे सरकार चाहे या ना चाहे।।।


और आखिर में चलते चलते आपसे एक गुज़ारिश।।।

सोचा था आपसे कुछ नहीं कहूँगा पर मन नहीं मान रहा, क्योंकि मेरे कई चाहने वाले दिल्ली में रहते हैं और मैं जाग गया हूँ ।।। असलियत ये है कि आप सभी को भी जाग जाना चाहिए…क्यों…क्योंकि अब दिल्ली दूर नहीं…

दिल्ली धीरे धीरे पूरे मुल्क को इस नासूर में जकड़ लेगी और यकीन मानिए रोज अख़बार पढ़ कर अफ़सोस करने से कुछ नहीं होना…तो या तो जिल्लत की जिंदगी चुनिए या इज्जत की मौत, क्योंकि किसी को तो आगे आकर विरोध करना ही होगा और जगाना होगा हमारी सोयी हुई सरकारों को।।।

पुरानी ख़बरों को पढ़ने में मेरी दिलचस्पी नहीं,
रोज एक नया अख़बार खरीदता हूँ मैं।।
#क़ैस

एक और बात…आपसे हाथ जोडकर एक विनती है, इस घिनौने कृत्य की सजा देनी ही है तो उस हैवान को दीजिये, ना कि उस बेचारी फूल सी बच्ची को जिसे उन हैवानों ने कुचल दिया…सोचिए ज़रा उसकी शादी के बारे में, उसकी ज़िंदगी जो कि अब नर्क बन जाएगी, उसके एक दिन के बारे में, लोगों से पड़ने वाले तानों के बारे में, और सबसे उपर उस दर्द के बारे में जो उसे सहना पड़ेगा ता-उम्र…

क्या वो थी इस दर्द की असली हकदार, क्या गुनाह था उसका…

और हाँ एक काम और कीजिए आज पचास रोटी खाइए, ठूंस ठूंस कर खाइए, आपको शायद कुछ एहसास हो कि जब ज़बरदस्ती हमारे शरीर में कुछ जाता है तो बहुत तकलीफ़ होती है।।।


Image Courtesy : Google Search

Leave a comment / अपने विचार रखिए

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.